These 6 big threats will create havoc in the share market: साल 2025 के शुरुआती दो दिन बाजार के लिए शानदार रहे. पहले दो दिन शेयर बाजार में अच्छी खरीदारी का माहौल रहा. लेकिन तीसरे दिन की शुरुआत में ही बाजार हिचकोले खाने लगा है. ऐसे में निवेशकों के सामने बड़ा सवाल खड़ा है. क्या 2025 में शेयर बाजार डबल डिजिट रिटर्न देगा या निवेशकों को निराशा हाथ लगेगी?
क्या कहती है शेअर बाजार की पिछली दशा
बीते 09 सालों से बाजार ने दमदार रिटर्न दिया है. लेकिन 2024 की आखिरी तिमाही में बाजार ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया है. बाजार ने निवेशकों को दर्शा दिया है कि शेयर बाजार एकतरफ़ा रास्ता नहीं अपनाता. 2025 में बाजार के सामने 06 बड़े रिस्क हैं. इन रिस्क से निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है.
पहली जोखिम है कंपनियों की आय
2025 में बाजार के लिए सबसे बड़ा जोखिम है कंपनियों की आय. तीसरी तिमाही के नतीजों से बाजार की पूरे साल की चाल निर्भर करेगी. तीसरी तिमाही के नतीजे अनुमान या उससे अच्छे आए तो समझो बाजार की मजबूत शुरुआत होगी. अगर तीसरी तिमाही के नतीजे दूसरी तिमही की तरह ही आए तो समझो ये साल बाजार के लिए थोड़ा मुश्किल बीतने वाला है. दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन में भी गिरावट आई है. ये भी बाजार के लिए अच्छा संकेत नहीं है. माल ज्यादा बिकता है तभी जीएसटी कलेक्शन में इजाफा होता है.
दूसरी जोखिम है ट्रेड फ्रिकशन
बाजार के सामने दूसरा बड़ा रिस्क है ट्रेड फ्रिकशन राष्ट्रपती डोनाल्ड ट्रंप की मेक अमेरिका ग्रेट अगेन नीतियों, से ग्लोबल ट्रेड व्यापार पर निगेटिव असर पड़ सकता है. इन नीतियों के चलते व्यापारिक टैरिफ और कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती है जो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए समस्या पैदा कर सकती है.
तीसरी जोखिम है ब्याज दरे
तीसरा बड़ा रिस्क है ब्याज दर, बाजार के सामने इस वक्त महंगा कर्ज भी बड़ी चुनौती बना हुआ है. महंगे कर्ज के चलते कॉर्पोरेट निवेश नहीं पड़ रहा है, जिसका असर मांग पर भी आया है. 2024 में अमेरिकी फैड ने कई बार ब्याज दरों में कटौती की, लेकिन 2025 में फेड दरों में धीरे-धीरे कटौती के संकेत दिए हैं. सस्ते कद में सबसे बड़ी बाधा महंगाई बनी हुई है. बाजार फरवरी में रेट कट की उम्मीद लगाए हुए हैं. अगर इसमें ज्यादा देरी हुई तो इसका असर भी बाजार पर आएगा.
चौथी जोखिम है छोटे मझोले मिडकैप शेअर
चौथा बड़ा रिस्क है छोटे और मिडकैप शेयरों में उछाल 2024 में छोटे मझोले शेयर में निवेशकों की मोटी कमाई हुई है. इन कम्पनियों में ग्रोथ भी मजबूत आई है. दूसरी तिमाही में इस सेगमेंट पे कुछ कंपनियों के नतीजे भी अच्छे आए हैं. अगर 2025 में मिडकॅप और स्मॉल कॅप कंपनियों के नतीजों ने निराश किया तो ये बाजार के निवेशकों के लिए बड़ा झटका होगा.
पांचवी और सबसे बड़ी जोखिम है चीन की अर्थव्यवस्था
पांचवा बड़ा रिस्क है. चीन की अर्थव्यवस्था चीन की अर्थव्यस्था में सुधार से कमोडिटी की कीमतों में उछाल आ सकता है. कमोडिटी की कीमतों में बढ़त भारत के लिए बड़ा रिस्क है. कमोडिटी महंगी होने का असर कंपनियों के मार्जिन पर आता है, जिससे कंपनी का मुनाफा कम हो सकता है, जो कुछ बड़ी कंपनियों का पहले ही अनुमान से कम रहा है. इससे भारत के शेयरों की वैल्यूएशन भी प्रभावित होगी.
मौजूदा समय में भारतीय शेयर बाजार का प्रीमियम, 70 फीसदी है जो घट सकता है.
छठी बडी जोखिम है जियो पॉलिटिक्स
छठा बड़ा रिस्क है. जियो पॉलिटिकल टेंशन रूस, यूक्रेन युद्ध और इराइल हमास के बीच तनाव भी बाजार के सामने बड़ी चुनौती है. अगर ये तनाव 2025 में और बढ़ता है तो इससे सप्लाई चेन बाधित हो सकती है. इससे महंगाई बढ़ सकती है. दुनिया के बड़े देश पहली बढ़ती महंगाई से जूझ रहे हैं.
इक्विटी में निवेश करने वाले निवेशकों को इन छह रिस्क से सावधान रहने की जरूरत है. यही वो छह रिस्क है जो पूरे साल बाजार को तनाव दे सकते हैं. ये फैक्टर्स उन निवेशकों को ज्यादा परेशान करेंगे जो छोटी अवधि के लिए पैसा डाल रहे हैं. जो तीन, पांच या दस साल के लिए निवेश कर रहे हैं उनको इन्वेस्ट का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.
Disclaimer – यह खबर हमने सिर्फ आपकी जानकारी के लिए तैयार की है. अगर आपको किसी भी शेयर में निवेश करना है तो पहले अपने निवेश सलाकार से राय जरूर ले. अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों को शेयर करना ना भूलें और हमारे साथ जुडने के लिए हमारा Whatsapp group Join करे.
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