Ratan Tata ‘मॉडल’ पर अब काम नहीं करेगा Tata Group, पुरानी परंपरा कर दी बंद !

देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप में बड़ा बदलाव हुआ है. टाटा ग्रुप ने अपनी सालों पुरानी परंपरा में बदलाव किया है. रतन टाटा के निधन के वर्षों बाद पुरानी एक परंपरा को बंद कर दिया गया है. असल में टाटा ग्रुप अब अपने कारोबार के तरीकों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. यह पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के बिजनेस मॉडल से एकदम अलग है.

क्या है पूरा मामला ? 

टाटा ग्रुप में वर्षों पुरानी कौन सी परंपरा को बंद कर दिया गया है और कारोबार के तरीकों में कौन सा बदलाव होने जा रहा है, सभी सवालों के जवाब हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से देने जा रहे हैं.

देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा सन्स ने नए साल पर एक बड़ा फैसला लिया है. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि टाटा सन्स ने अपनी कंपनी को निर्देश दिया है की वो अपने कर्ज और देनदारियों को खुद ही मैनेज करें. खासकर टाटा डिजिटल, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और एअर इंडिया जैसी कंपनियों को. यह फैसला बैंकों को दिए जाने वाले लेटर ऑफ कंफर्ट और कॉस डिफॉल्ट क्लॉस को खत्म करने के बाद आया है.

अब टाटा सन्स ने साफ कर दिया है कि नए बिजनेस के लिए पूंजी का अलोकेशन इक्विटी निवेश और आंतरिक स्रोतों से होगा.

पिछले साल टाटा सन्स ने आरबीआई के साथ अपना रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर दिया था. और 20 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज अदा कर दिया था. ताकि वह अनलिस्टेड रह सकें. अब फंडिंग का जरिए टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानि टीसीएस के लाभांश और आंतरिक मुनाफे से होगा, जो टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी है.

इसका असर कौनसी कंपनियों पर पडेगा 

अब आपको बताते हैं इसका असर कौनसी कंपनियों पर पड़ेगा. टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टाटा कंज्यूमर जैसी पुरानी कंपियों तो पहले से अपना कर्ज खुद मैनेज कर रही हैं, इसलिए इन कंपनियों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. लेकिन नई कंपनियां जैसे टाटा डिजिटल और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को अब खुद ही अपनी फंडिंग का इंतजाम करना पड़ेगा.

कर चुकाने के लिए बेचे थे TCS के शेअर 

वित्तीय स्थिति में बदलाव की बात करें तो आरबीआई ने सितंबर 2022 में टाटा सन्स को अपर लेअर NBFC के तौर पर वर्गीकृत किया था. जिसके लिए तीन साल में लिस्ट होना जरूरी है. लेकिन, टाटा सन्स ने इससे छूट की मांग की है. मार्च 2023 से 2024 के बीच टाटा सन्स ने अपने कर्ज को 20, 642 करोड़ से घटाकर नगदी में 2670 करोड़ रुपये कर लिया है. इस्मार्ट में टाटा सन्स ने TCS के 23.4 मिलियन शेयर बेचकर 9300 करोड़ रुपये जुटाए. जिसका इस्तेमाल कर चुकाने में किया गया. कुल मिलाकर इस बदलाव से टाटा ग्रुप की कंपनियां ज्यादा स्वतंत्र और फाइनेंशियल रूप से मजबूत होंगी. बैंकों को भी टाटा की कंपनियों को कर देने में कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि टाटा सन्स की इन कंपनिय मे बड़ी हिस्सेदारी है.

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पवन पाटील

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