Donald Trump के इन फैसलों से हिल जाएगा भारतीय शेअर बाज़ार ? | Indian Economy

These decisions of Donald Trump will shake the Indian stock market: डोनाल्ड ट्रंप 10 जनवरी 2025 को अमेरिका के 47 वे राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं. लेकिन चुनाव से पहले दिए गए उनके बयान एक बार फिर से चर्चा में है. यूएस प्रेसिडेंट इलेक्शन से पहले ट्रंप ने भारत को टैरिफ्स king कहके संबोधित किया था.

ट्रंप की टैरिफ्स धमकी का असर भारतीय बाजार पर पड सकता है 

अब ट्रंप की टैरिफ्स धमकी को लेकर भारत की अर्थव्यवस्था पर असर होने की आशंका जताई जा रही है. दरसल देखा जाए तो पहले से ही भारत की अर्थव्यवस्था कुछ धीमी नजर आ रही है. जुलाई सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ गिरकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई है. यह पिछले 18 महीनों का सबसे निचला स्तर हैं. ऐसे में ट्रंप 2.2 एरा को लेकर इंडियन इकोनॉमी में भी चिंता नजर आ रही है.

डोनाल्ड ट्रंप का कार्यालय हमेशा से व्यापारिक नीतियों और ग्लोबल पॉलिसी शिप्ट के लिए चर्चा में रहा हैं. ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचाई थी. ऐसे में भारत पर पड़ने वाली संभावित प्रभावों को अहम कैटेगरी के जरिए बेहतर समझा जा सकता है. ट्रेड रिलेशन और आयात-निर्यात का ध्यान हमेशा अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने पर रहा हैं.

ट्रंप के आने से चीन को नुकसान और भारत को हो सकता है फायदा 

पिछली बार उन्होंने चीन पर सक्त टॅक्स लगाए थे. ट्रंप का फिर से आना भारत के लिए एक अवसर हो सकता है क्योंकि चीन से आपूर्ति श्रृंखला हटाने का प्रयास भारत को फायदा पहुंचा सकता है. आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक चीन ग्लोबल मार्केट के लिए अपनी इकॉनॉमी को खोलने की तैयारी में जुटा है. इसके पीछे अमेरिका का खौफ भी एक बड़ी वजह है. बता दे कि ट्रंप ने चीनी आयात पर टॅक्स महंगा करने का इरादा जताया है. इसके चलते चीन और अमेरिका के बीच व्यापार में खटपट देखने को मिल सकती है.

H -1B वीजा पॉलिसी, ट्रंप की कडक विदेशी नीतियां 

खासकर H -1B वीजा को लेकर भारतीय IT सेक्टर चिंता में है. यह वीजा भारतीय प्रोफेशनल्स को अमेरिका में काम करने में मदद करता है. एक्सपर्ट्स का मानना है की अगर ट्रंप की नीतियां सख्त होती हैं तो भारतीय IT सेक्टर को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. उनकी पॉलिसी खासकर H-1B वीजा पर सख्ती भारतीय IT सेक्टर के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है. हालांकि हाल ही में ट्रंप ने H-1B वीजा कार्यक्रम का समर्थन किया है जिससे भारतीय IT पेशेवरों के लिए संभावनाएं बढ़ी है.

ट्रंप ने कहा, मुझे हमेशा से यह वीजा प्रोग्राम पसंद रहा है. मैं हमेशा से वीजा के पक्ष में रहा हूं. उनके करीबी सहयोगी टेस्ला के मालिक अलन मस्क ने भी H-1B वीजा का समर्थन किया है. मस्क ने कहा, मैं अमेरिका में इतने सारे महत्वपूर्ण लोगों के साथ हू जिन्होंने स्पेस एक्स, टेस्ला और सैकड़ों अन्य कंपनियों को बनाया है, जिन्होंने अमेरिका को मजबूत बनाया और इसका कारण H-1B भी ही. हालांकि इस समर्थन के बावजूद अमेरिका में H-1B वीज को लेकर बहस तेज हो गई है.

व्यापार पर क्या प्रभाव पड सकता है

अगर बात करें कि व्यापार पर क्या असर हो सकता है तो ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ्स यानी जवाबी शुल्क की बात कही है जिससे भारत के निर्यात पर सात से आठ बिलियन डॉलर का असर हो सकता है.

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि बयान बातचीत की शुरुआत के लिए हो सकते हैं लेकिन इसका तुरंत कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. बात अगर करें फॉरेन इन्वस्टमेंट की तो अमेरिका में बॉन्ड यील्ड बढ़ रही हैं जिससे उभरते बाजारों में निवेश कम हो सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना कि भारत में विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल सकते हैं, जिससे रुपया कमजोर होगा और RBI को दखल देना पड़ेगा. यानी रुपए पर संकट है अगर चीन अमेरिकी टैरिफ्स के जवाब में अपनी करेंसी का डिप्रिसिएशन करता है तो यह भारत के लिए भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होने से संकट की आशंका 

रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हुआ है और आने वाले समय में इसमें और गिरावट की आशंका है. मौजूदा समय में भी डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है. एक डॉलर का भाव इस समय 85.77 पर आ गया है. हालांकि भारत के लिहाज से सब कुछ नकारात्मक नहीं है. भारत ने अपने एक्स स्पोर्ट्स को पिछले कुछ सालों में काफी डाइवर्सिफाई किया है. इंजीनियरिंग समान और वैल्यू एडेड प्रोडक्ट का हिस्सा भी बढ़ रहा है. दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध भी मजबूत हो रहे हैं तो कुल मिलाकर ट्रंप की वापसी के साथ भारत को कई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सही रणनीतियों के साथ इन से निपटा भी जा सकता है.

पवन पाटील

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